जी चाहता है …

आज़ाद परिंदे की तरह
उड़ने को ,
गिरने को , गिरकर सँभलने को …
आसमान की ऊँचाईयों को
छूने को
जी चाहता है …

अनदेखे अनजाने
रास्तों पर चलने को ,
थमने को , थमकर फिर चलने को …
रास्तों के फ़ासले लाँघ कर ,
नये रास्ते तय करने को
जी चाहता है …

बहते हुए झरने की तरह ,
पहाड़ों से खिलखिलाते हुए
गुज़रने को …
कभी दरिया तो कभी नदियों
का वजूद सँवारने को
जी चाहता है …

कुछ कर गुज़रने को ,
ज़िन्दगी जीने को ,
जी चाहता है …
अब
जी चाहता है …

Comments

Popular posts from this blog

Sayonara

Beauty of Night