एक ख्वाहिश है फिर से जगी ,
एक कसक है फिर से उठी ,
एक आरज़ू है फिर से पली,
एक तमन्ना है फिर से उभरी …
ज़िन्दगी को खुल कर जीने की ,
मंज़िलों पर फतह पाकर
नयी मंज़िलों की ओर बढ़ जाने की ,
ख़ुद को ज़ाहिर कर पाने की ,
एक अलग पहचान बनाने की …
खुशियों के पैग़ाम बाँटकर
ज़िंदगियाँ सँवारने की ,
ग़मों की चादर छीनकर
हँसी की फुहार चलाने की ,
अनजानी आँखों से आँसू चुराकर
ख़ुद उस सैलाब में बह जाने की ....
दीये की जलती हुई लौ बनकर
अँधेरों को उजियारों में बदलने की ,
फूलों की तरह खिलकर
खुशबू हर तरफ महकाने की …
एक ख्वाहिश है जगी ,
एक कसक है उठी …
एक कसक है फिर से उठी ,
एक आरज़ू है फिर से पली,
एक तमन्ना है फिर से उभरी …
ज़िन्दगी को खुल कर जीने की ,
मंज़िलों पर फतह पाकर
नयी मंज़िलों की ओर बढ़ जाने की ,
ख़ुद को ज़ाहिर कर पाने की ,
एक अलग पहचान बनाने की …
खुशियों के पैग़ाम बाँटकर
ज़िंदगियाँ सँवारने की ,
ग़मों की चादर छीनकर
हँसी की फुहार चलाने की ,
अनजानी आँखों से आँसू चुराकर
ख़ुद उस सैलाब में बह जाने की ....
दीये की जलती हुई लौ बनकर
अँधेरों को उजियारों में बदलने की ,
फूलों की तरह खिलकर
खुशबू हर तरफ महकाने की …
एक ख्वाहिश है जगी ,
एक कसक है उठी …
Ek achchi soch se likhi gyi kavita,
ReplyDeletezindagi me kuch achcha karne ka jazba,
apne hiton se pare jakar sochna,
iss khwaish ko kabhi dabne mat dena ---